अल्लामा इक़बाल की कुछ मशहूर शायरी:
अल्लामा इक़बाल की कुछ मशहूर शायरी:
- “ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है।” - “हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अर्मान, लेकिन फिर भी कम निकले।” - “ख़ुद को बेख़ुदी में मिटा दे, मिटा दे,
जहाँ में हैं अब तक, वहाँ हैं अब तक।” - “सितारों से आगे जहाँ और भी हैं,
अब्बास की इक सीढ़ी में चढ़ जा।” - “ख़ुद अपनी इहमात का आइना बना,
ख़ुद को पहचान ले, ज़िन्दगी क्या है।” - “मिट्टी की मोहब्बत बू नहीं मिलती,
ज़मीन की खुश्बू आसमान से नहीं मिलती।” - “है ख़ुद बीमार, उम्र दराज़ मांगती है,
किसी रोज़ गर मिल जाएगी दवा मुझे।” - “निगाहे ना फुरसत है जिनकी, तो उनको क्या मिला,
सर-ओ-समान बात करें, वही बद-गुमान बात करें।” - “जिन्हें निर्धन देखा है कभी गरीबी की चिता,
उन्हें ख़ाक है तज़ुर्बा, जिन्हें हक़ीक़त की हवा।” - “ज़िंदगी शादाब होती है ज़िन्दगी,
जब ख़ुद से आदमी ख़ुद को जानता है।”